How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good baglamukhi sadhna



मुखी-देवतायै नमः हृदि, ‘क्लीं’-वीजाय नमः गुह्ये, ‘ऐं’-शक्तये नमः नाभौ, ‘श्रीं’-कीलकाय

Lots of people also do deeds related to tamasic tendencies like Akarshan, Maran, and Stambhan, however, if treatment will not be taken in them, then You will find there's decline.

तेन दीक्षेति हि् प्रोक्ता प्राप्ता चेत् सद्गुरोर्मुखात।।

अर्थात् ‘शत्रु के विनाश के लिए कृत्या-विशेष भूमि में जो गाड़ देते हैं, उन्हें नाश करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति को वलगहा कहते हैं।’ यही अर्थ वगला-मुखी का भी है। ‘खनु अवदारणे ‘ इम धातु से मुख’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ मुख में पदार्थ का चर्वण या विनाश ही अभिप्रेत होता है। इस प्रकार शत्रुओं द्वारा किए हुए अभिचार को नष्ट करनेवानी महा-शक्ति का नाम ‘बगला-मुखी’ चरितार्थ होता है। श्रीमहीधर ने इसका स्पष्ट अर्थ ऐसा किया है-

कम्बु-कण्ठीं सु-ताम्रोष्ठीं, मद-विह्वल-चेतसाम् ।

The color of Goddess Baglamukhi is yellow like gold, Therefore the seeker need to have on yellow clothes whilst worshiping Mother Baglamukhi. Supplying yellow bouquets and coconut pleases the goddess.

।। फल-श्रुति ॥इत्येवं वज्र-कवचं, महा-ब्रह्मास्त्र -संज्ञकम् । त्रि-सन्ध्यं website यः पठेद् धीमान्, सर्वैश्वर्यमवाण्नुयात् ।।१न तस्य शत्रव: केऽपि, सखायः सर्व एव च। बलेनाकृष्य शत्रुं स्यात् सोऽपि मित्रत्वमाप्नुयात् ।।३शत्रुत्वे मरुता तुल्यो, धनेन धनदोपमः । रूपेण काम-तुल्यः स्याद्, आयुषा शूल-धृक् -समः१२॥४सनकादि-समो धैर्ये, श्रिया विष्णु-समो भवेत् । सः विद्यया ब्रह्म-तुल्यो, यो जपेत् कवचं नरः । ।५.

अमृत-वीज ‘वं’ को लगाकर जप करने से ताप-ज्वर, महा-तापादि की शान्ति होती है। वायु-वीज ‘यं’ लगाकर जपने से उच्चाटन होता है ‘रं’ लगाकर जपने से शत्रु नष्ट हो जाते हैं। माया-वीज’ ह्रीं’ लगाकरजपने से वशीकरण होता है। ***श्रीबगला-गायत्री-साधना के कठिन शब्दों का अर्थ१.

दीयते ज्ञान विज्ञानं क्षीयन्ते पाप-राशय: ।

उक्त कथानक के अनुकूल ‘कृष्ण-यजुर्वेद’ की काठक-संहिता में दो मन्त्र आए हैं, जिनसे श्रीबगला विद्या का वैदिक रूप प्रकट होता है- विराड्-दिशा विष्णु-पत्यघोरास्येशाना सहसो या मनोता ।

Equally as the king’s son gets the official king from the state Down the road, the seeker is ready to ascertain this kingdom with tenacity by adopting this initiation-tradition. It's really a point out by meditation, and this state is a Unique path for victory in elections and so forth.

अर्थात् ‘ इन्द्रादि देवताओं द्वारा पराजित होकर भागे हुए राक्षसों ने देवताओं के बध के लिए अस्थि, केश, नखादि पदार्थों के द्वारा अभिचार किया।’

अर्थात् : जिसने ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति होती है और पाप-समूह नष्ट होते हैं ऐसे सद्-गुरू के मुख से प्राप्त ‘मत्रं ग्रहण को दीक्षा कहते है।

‘विश्व -व्यचा’ अन्तरिक्ष लोक-स्वरूप समस्त नक्षत्र-मण्डल में प्रकाशित होनेवाली (‘अन्तरिक्षं विश्व-व्यचाः ‘तैत्तरीय ब्राह्मण ३-२-३७)।

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